चकबंदी क्या होता है | चकबंदी का कानून, अधिनियम व नियम के बारे में जानकारी

भारत को गावों का देश कहा जाता है और आज भी देश की लगभग 65 से 70 प्रतिशत जनसँख्या ग्रामीण क्षेत्रो में निवास करती है| गांवों में रहनें वाले लोगो के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन कृषि है| देश की निरंतर बढ़ती हुई जनसँख्या और परिवारों के विभाजन के कारण खेतों के आकार छोटे जा रहे है| जिससे फसलों की उत्पादन क्षमता काफी कम होनें के साथ ही खेती करने में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है|

यहाँ तक कि किसानों के बीच खेत की सीमाओं को लेकर विवाद की स्थिति बन जाती है| किसानों को इस प्रकार की समस्याओं से निजात दिलानें के लिए सरकार द्वारा चकबंदी करायी जाती है| चकबंदी क्या होता है, चकबंदी का कानून, अधिनियम व नियम के बारे में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दी जा रही है|

चकबंदी क्या होता है (Chakbandi Kya Hai)

चकबंदी शब्द ‘चक’ और ‘बंदी’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है| जिसमें ‘चक’ का मतलब खेतों तथा ‘बंदी’ का मतलब बंदोबस्त करना अर्थात छोटे-छोटे भूखंडो को मिलकर एक बड़ा भूखंड या खेत तैयार किया जाता है| दरअसल चकबंदी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत किसानों के इधर-उधर बिखरे हुए खेतों को उनके आकार के आधार पर उन्हें एक स्थान पर करके एक बड़ा चक बना दिया जाता है। इससे किसानों को खेती करनें में आसानी के साथ ही उनके चकों की संख्या भी कम होती है|

उदाहरण के रूप में, यदि किसी किसान के छोटे-छोटे खेत अलग-अलग और कुछ दूरी पर है, तो उनके अलग-अलग खेतों के आकार के आधार पर उन्हें किसी एक स्थान पर उतनी हो भूमि देना चकबंदी कहलाता है| इस प्रकार चकबन्दी एक परिवार के बिखरे हुए खेतों को एक स्थान पर करने की प्रक्रिया है, परन्तु चकबन्दी प्रक्रिया में कृषक को उसी प्रकार की भूमि मिलना संभव नहीं होता है, जैसी उनकी भूमि अलग-अलग स्थाओं पर थी|

चकबंदी के प्रकार (Types Of Chakbandi)

चकबन्दी 2 प्रकार की होती है, जो इस प्रकार है-

1.ऐच्छिक चकबन्दी

ऐच्छिक चकबन्दी का मतलब ऐसी चकबंदी से है, जो किसानों की सहमति अर्थात कृषकों की इच्छा पर निर्भर होती है| दूसरे शब्दों में किसानों की इच्छा से होनें वाली चकबंदी को ऐच्छिक चकबन्दी कहते है| इस प्रकार की चकबंदी करानें के लिए किसानों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाता है| ऐच्छिक चकबन्दी का सबसे बड़ा लाभ यह होता है, कि चकबंदी के बाद में किसानों के बीच विवाद उत्पन्न होनें की संभावना काफी कम हो जाती है|

भारत में ऐच्छिक चकबन्दी की शुरुआत स्वतंत्रता से पूर्व वर्ष 1921 में पंजाब प्रान्त में सहकारी समितियों द्वारा की गयी थी| आपको बता दें कि भारत में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), गुजरात (Gujrat) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ऐच्छिक चकबन्दी क़ानून आज भी लागू है।

2. अनिवार्य चकबन्दी

अनिवार्य चकबन्दी को कानूनी चकबंदी भी कहते है| अनिवार्य चकबन्दी का आशय एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें किसानों को अनिवार्य रूप से चकबन्दी करानी पड़ती है। इस प्रकार की चकबंदी में काफी समय लगता है, इसके साथ ही विवाद होनें की सम्भावनायें काफी अधिक होती है| गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश को छोड़कर नागालैण्ड, आन्ध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, केरल, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और मेघालय में चकबन्दी से सम्बंधित कोई कोई क़ानून नहीं है। इन राज्यों के अलावा अन्य सबी राज्यों में अनिवार्य चकबन्दी क़ानून लागू है।

चकबंदी का उद्देश्य (Chakbandi Purpose)

चकबंदी करनें का मुख्य उद्देश्य कृषकों की विभिन्न स्थानों पर बिखरी हुई भूमि को किसी अन्य स्थान पर एक बड़े चक अर्थात खेत में परिवर्तित करना है| चकबंदी प्रक्रिया के माध्यम से किसानों के खेतों की संख्या कम होनें के साथ ही उन्हें कृषि कार्य करनें में काफी सरलता होती है| कृषकों के खेतों का आकार बड़ा हो जानें से वह कृषि संसाधनों का समुचित प्रयोग कर पाते हैं, जिसका सीधा प्रभाव कृषि उत्पादन पर पड़ता है।

गांवों में अक्सर लोग दूसरों या कमजोर लोगो की भूमि पर अपना कब्ज़ा जमा लेते है, इसके साथ ही कुछ लोग गाँव की सार्वजनिक भूमि पर भी अवैध रूप से काबिज हो जाते है| चकबंदी होनें पर इस प्रकार की भूमि को अवैध कब्जेदारों से मुक्त करा लिया जाता है| इससे सबसे बड़ा लाभ यह है, कि किसानों के बीच विभिन्न प्रकार के आपसी विवाद कम हो जाते है|

चकबंदी के नियम और कानून (Chakbandi Rules And Regulations)

भूमि चकबंदी लाभ (Land Consolidation Benefits)

भूमि चकबंदी कठिनाइयाँ और बाधाएँ (Land Consolidation Difficulties and Obstacles)

उत्तर प्रदेश चकबंदी योजना शर्तें (Uttar Pradesh Chakbandi Scheme Terms)

नोट: बशर्ते कि, चकबंदी निदेशक की अनुमति के बिना, एक काश्तकार को आवंटित जोत या जोत का क्षेत्र उसके मूल जोत या जोत के क्षेत्र से बाद के पच्चीस प्रतिशत से अधिक से भिन्न नहीं होगा|

मुआवजा कार्यकाल धारक को:

सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा अंतिम चकबन्दी योजना (धारा-19)

लेकिन जहां ऐसी किसी भी भूमि का उपयोग सार्वजनिक प्रयोजन के लिए किया जाता है, उसे सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा लिखित रूप में घोषित करने के बाद ही आवंटित किया जाएगा।

बयान पर आपत्ति का निपटान (धारा –21)

1. सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा प्राप्त सभी आपत्तियां, यथाशीघ्र, निर्धारित सीमा अवधि की समाप्ति के बाद, उनके द्वारा चकबंदी अधिकारी को प्रस्तुत की जाएंगी, जो उनका निपटान करेंगे, साथ ही उनके द्वारा प्राप्त आपत्तियों को भी , इसके बाद संबंधित पक्षों और चकबंदी समिति को नोटिस के बाद प्रदान किए गए तरीके से।

2. उप-धारा (1) के तहत चकबंदी अधिकारी के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति, आदेश की तारीख के [15] दिनों के अन्दर बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी के समक्ष अपील दायर कर सकता है, जिसका निर्णय अन्यथा द्वारा या इसके तहत प्रदान किए गए को छोड़कर होगा। यह अधिनियम अंतिम हो।

अनंतिम चकबंदी योजना की पुष्टि एवं आवंटन आदेश जारी करना (धारा 23)

1. इस प्रकार पुष्टि की गई अनंतिम चकबंदी योजना को इकाई में प्रकाशित किया जाएगा और इस अधिनियम द्वारा या इसके तहत अन्यथा प्रदान किए जाने के अलावा अंतिम होगा।

2. जहां धारा 19-ए के तहत किए गए आवंटन को धारा 21 के तहत संशोधित नहीं किया गया है और उप-धारा (1) के तहत पुष्टि की गई है| धारा 20 के तहत जारी नोटिस में निहित उद्धरण [अधिनियम द्वारा या उसके तहत प्रदान किए गए को छोड़कर] होंगे| संबंधित कार्यकालधारकों के लिए अंतिम आवंटन आदेश के रूप में माना जाता है।

3. भारत में फार्म न केवल आकार में छोटे हैं बल्कि बिखरे हुए भी हैं। बिखरे हुए खेतों का अर्थ है एक खेत से दूसरे खेत में लोगों और सामग्री को ले जाने में बहुत समय, ऊर्जा और पैसा बर्बाद होता है, जिसके परिणामस्वरूप संसाधनों का उप-इष्टतम उपयोग होता है।